Wednesday, August 6, 2025
spot_img

रिश्ते की चुप्पी में गूंजता अपराध: जब सौतेलापन बन गया पाशविकता की परिभाषा

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

कानपुर। यह महज एक पुलिस केस नहीं, बल्कि भारतीय समाज की आत्मा को झकझोर देने वाली एक दर्दनाक कथा है—एक मासूम बच्ची की, जो अपने ही घर में, अपनी ही मां की आंखों के सामने पिघलती रही, टूटती रही, मगर न्याय की राह में सिर्फ दर्द और अनदेखी उसे मिलती रही।

जब परिवार ही बना नरक का पर्याय

कहानी शुरू होती है गोंडा की एक महिला से, जिसने पहले पति की मृत्यु के बाद पंजाब के लुधियाना में काम करने वाले एक युवक से दूसरी शादी की। उसकी दो बेटियां थीं—बड़ी बेटी, जो मां के साथ थी, और छोटी, जिसे ननिहाल में पाला गया। बारह वर्षों तक ननिहाल में रहने के बाद जब बच्ची को मां अपने साथ लुधियाना ले गई, तब से ही उसके जीवन में अंधकार उतर आया।

इसे भी पढें  रिश्तों के अंधे मोड़ पर बढ़ते अपराध ; पांच साल में पत्नी ने 785 पतियों की हत्या की, खबर चौंकाने वाली है

मां के नए पति, यानी बच्ची के सौतेले पिता ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाना शुरू कर दिया। और यह सिलसिला तब तक चलता रहा, जब तक बच्ची की हालत बेहद बिगड़ नहीं गई।

अंधविश्वास की आड़ में छुपाया गया अपराध

यह जानकर दिल दहल जाता है कि जब बच्ची की हालत इतनी खराब हो गई कि वह ठीक से चल-फिर भी नहीं पा रही थी, तब मां उसे इलाज के लिए डॉक्टर के पास नहीं, बल्कि झाड़-फूंक वालों के पास ले गई। अपराध को छिपाने की यह शर्मनाक कोशिश एक बार फिर दिखाती है कि कैसे अंधविश्वास और सामाजिक कलंक के डर से मां-बाप अपने ही बच्चों के लिए अनजाने में अपराधियों से भी बड़ी सजा बन जाते हैं।

इसे भी पढें  योगी राज में 24 घंटे में 13 हत्याएं! लखनऊ से बाराबंकी तक अपराधियों का तांडव, विपक्ष का बड़ा हमला

मौसी बनी उम्मीद की आखिरी किरण

बच्ची की हालत जब बिल्कुल असहनीय हो गई, तब उसे मौसी ने गोंडा से कानपुर ले जाकर हैलट अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने तुरंत ही स्थिति की गंभीरता को समझते हुए पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की सलाह दी। लेकिन जैसे हर कष्ट में एक नई दीवार खड़ी होती है, यहां भी पुलिस ने शुरुआत में रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी की।

सिस्टम की जड़ता, डीएम की संवेदनशीलता

थाना काकादेव में एफआईआर दर्ज करने से पुलिस ने जब इंकार किया, तो बच्ची की मौसी जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह से मिलीं। डीएम ने न सिर्फ इस मामले को गंभीरता से लिया, बल्कि तुरंत जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह को निर्देशित किया कि बच्ची को जरूरी देखभाल और कानूनी सहायता दी जाए।

वन स्टॉप सेंटर की मैनेजर वंदना द्विवेदी ने बच्ची का मेडिकल कराया। वहां यह स्पष्ट हुआ कि बच्ची पर लंबे समय से शारीरिक शोषण हुआ है।

इसे भी पढें  ITI और इंटर पास युवाओं को नौकरी का ऑफर – सिर्फ एक दिन का मौका

डॉक्टरों की निगरानी में बच्ची, हालत नाजुक

हैलट अस्पताल के बाल रोग विभाग में बच्ची का इलाज चल रहा है। विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र कुमार के मुताबिक उसकी हालत में कुछ सुधार तो हुआ है, लेकिन आंतरिक क्षति इतनी गंभीर है कि डॉक्टर सर्जरी पर विचार कर रहे हैं। उसे सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया गया है।

अपराधी अभी भी फरार, व्यवस्था की परछाई में छिपा सच

अब तक इस पूरे मामले में सबसे कड़वी सच्चाई यह है कि सौतेला पिता—जो इस जघन्य अपराध का मुख्य आरोपी है—अब तक गिरफ्त से बाहर है। एक बच्ची, जिसने एक नहीं, दो बार अपनों से धोखा खाया—मां से और कानून से—अब अस्पताल के बिस्तर पर जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है।

इसे भी पढें  जब देह बिकती रही और व्यवस्था सोती रही: वेश्याओं की ज़िंदगी पर समाज का मौन अपराध

प्रश्न कई हैं, जवाब कहीं नहीं

  • क्या मां को यह अधिकार है कि वह अपनी बच्ची को अंधविश्वास के हवाले कर दे?
  • क्या पुलिस की संवेदनशीलता केवल आदेश मिलने पर ही जागेगी?
  • क्या अपराधी को खुले में घूमने देना एक और मासूम की प्रतीक्षा है?

यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?

यह घटना सिर्फ एक बच्ची के साथ हुए अत्याचार की नहीं है, यह पूरे सामाजिक ढांचे पर सवाल उठाती है—जहां रिश्ते भरोसे की जगह शोषण के अड्डे बनते जा रहे हैं, जहां मां अंधविश्वास में अंधी हो जाती है, और जहां पुलिस प्रशासन अपनी ड्यूटी भूलकर केवल तब हरकत में आता है जब ऊपर से आदेश आता है।

न्याय की उम्मीद अभी बाकी है…

हालांकि डीएम और अस्पताल प्रशासन ने तत्परता दिखाई है, लेकिन जब तक आरोपी को गिरफ्तार कर सख्त सजा नहीं दी जाती, तब तक इस बच्ची की चीखें व्यवस्था के हर कोने में गूंजती रहेंगी। अब जरूरत है, कि समाज भी खड़ा हो, सवाल पूछे, और यह सुनिश्चित करे कि आने वाली कोई भी बच्ची इस तरह का नरक न भुगते।

इसे भी पढें  जब मां ही बन गई जल्लाद: ठाणे में तीन मासूम बेटियों को जहर देकर मारने वाली मां की दहला देने वाली कहानी

यह रिपोर्ट उन तमाम बच्चियों की आवाज़ है, जो घर की चारदीवारी में दम तोड़ देती हैं, क्योंकि मां-बाप, समाज और सिस्टम सबके मुंह पर ताले लगे होते हैं। लेकिन अब वक्त है, इन तालों को तोड़ने का।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
22,500SubscribersSubscribe

“अक्षरों की आरती से रोशन हुआ देशप्रेम, कवितायन में उठी राष्ट्रगान की लहर”

संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट गोरखपुर। देश की विविध भाषाई और सांस्कृतिक परंपराओं को एक मंच पर समेटते हुए शैक्षिक संवाद मंच उत्तर प्रदेश ने...

‘कामचोरी का थाना’, वर्दी पहन ली, मगर जिम्मेदारी छोड़ दी, 15 वर्दीधारी गायब, SP ने दिखाई असली वर्दी की ताकत

अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट देवरिया, उत्तर प्रदेश – जिले के पुलिस विभाग में उस समय हड़कंप मच गया जब पुलिस अधीक्षक (SP) विक्रांत वीर ने...
- Advertisement -spot_img
spot_img

“राजनीतिक साजिश है, मऊ उपचुनाव के लिए रास्ता साफ करना चाहते हैं” उमर अंसारी की गिरफ्तारी पर गरजे अफजाल अंसारी

जगदम्बा उपाध्याय की रिपोर्ट मऊ। मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी की गिरफ्तारी को लेकर उनके चाचा और सपा सांसद अफजाल अंसारी ने बड़ा...

हाईवे पर शव फेंककर जाम कराने का प्रयास: सपा जिला उपाध्यक्ष सहित 34 लोगों पर केस दर्ज, वीडियो वायरल

अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट गोंडा, उत्तर प्रदेश – देहात कोतवाली क्षेत्र के बालपुर बाजार के पास सोमवार की शाम एक सनसनीखेज घटना सामने आई,...