देवरिया के रुद्रपुर क्षेत्र में वाटरपार्क की दीवार गिरने से 12 वर्षीय बच्चे की मौत और एक अन्य के घायल होने की खबर सामने आई है। उद्घाटन से पहले ही भर दिया गया था पानी। स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया।
अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रुद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के भभौली गांव में सोमवार को एक नवनिर्मित वाटरपार्क की दीवार गिरने से एक मासूम बच्चे की मौत हो गई, जबकि दूसरा बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया। यह हादसा तब हुआ जब वाटरपार्क का उद्घाटन होने ही वाला था और उसमें पानी भर दिया गया था।
मृतक संगम कुशीनगर का निवासी, घायल श्याम रुद्रपुर का
मृतक की पहचान संगम निषाद (12 वर्ष) के रूप में हुई है, जो कुशीनगर जिले के हाटा कोतवाली क्षेत्र के लक्ष्मीपुर गांव का निवासी था। वहीं घायल बच्चे का नाम श्याम (11 वर्ष) है, जो भभौली गांव का रहने वाला है। घायल को आनन-फानन में रुद्रपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज जारी है।
उद्घाटन से पूर्व ही पानी भरा गया, नहाते समय गिर गई दीवार
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, वाटरपार्क में उद्घाटन से पहले ही पानी भर दिया गया था। कुछ स्थानीय बच्चे बिना किसी रोक-टोक के उसमें नहाने पहुंच गए। इसी दौरान दीवार अचानक भरभरा कर गिर पड़ी, और संगम की मौके पर ही मौत हो गई।
घटना के बाद ग्रामीणों का आक्रोश, सड़क जाम कर किया विरोध
जैसे ही यह दुखद समाचार फैला, पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई। गुस्साए ग्रामीणों ने रुद्रपुर-मदनपुर मुख्य मार्ग को जाम कर दिया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि यह पता लगाया जाए कि वाटरपार्क किस अनुमति से बनाया गया और निर्माण में लापरवाही के दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर भीड़ को शांत कराया
सूचना मिलते ही रुद्रपुर कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों को शांत कराने की कोशिश की। पुलिस ने पीड़ित परिजनों को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है।
बिना सुरक्षा मानकों के बना वाटरपार्क, अधिकारियों ने मानी लापरवाही
स्थानीय लोगों का आरोप है कि वाटरपार्क बिना किसी तकनीकी निरीक्षण और सुरक्षा व्यवस्था के शुरू किया जा रहा था। सुरक्षा मानकों की पूरी तरह अनदेखी की गई थी, जिससे यह हादसा हुआ। प्रशासनिक अधिकारियों ने भी माना कि निर्माण कार्य में लापरवाही बरती गई है और जांच के आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और निजी निर्माण कार्यों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी का एक और ज्वलंत उदाहरण है। मासूम की मौत ने पूरे क्षेत्र को सदमे में डाल दिया है। सवाल यह उठता है कि क्या अब भी निजी परियोजनाओं में सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी या फिर ऐसी दर्दनाक घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी?