सीपत, परसाही में भव्य कलश यात्रा के साथ शुरू हुई संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ

हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
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सीपत/परसाही (धनियां)।

सीपत, परसाही (धनियां) में भव्य कलश यात्रा के साथ संगीतमय
श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ की पावन धारा प्रारंभ हो गई है।
30 नवंबर, रविवार को सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में निकली कलश यात्रा ने गांव की
गलियों से होते हुए पूरे क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय कर दिया। कलशों पर सजे हुए
हिंदू धर्म के विविध प्रतीक, महिला व पुरुष श्रद्धालुओं की सजीव भागीदारी और
कीर्तन मंडली के मधुर भजनों ने मानो पूरे गांव को आध्यात्मिक उत्सव में बदल दिया।

यह संगीतमय भागवत कथा, गोस्वामी परिवार की ममतामयी माता स्वर्गीय
श्रीमती कुंती देवी गोस्वामी
की वार्षिक श्राद्ध स्मृति में आयोजित की गई है।
उनकी पुण्यतिथि को सेवा, भक्ति और ज्ञान का उत्सव बनाते हुए परिवार के सभी सदस्य
एकजुट होकर श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर दिखे। कार्यक्रम के माध्यम से
न सिर्फ आध्यात्मिक संदेशों का प्रसार हो रहा है, बल्कि पीढ़ियों के बीच
संस्कारों की एक मजबूत कड़ी भी बुनी जा रही है।

चित्रकूट के कथा वाचक पंडित श्री कृष्ण गोपाल शास्त्री वेदव्यास जी के श्रीमुख से भागवत कथा

इस श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में कथा वाचन की जिम्मेदारी
चित्रकूट के प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित श्री कृष्ण गोपाल शास्त्री वेदव्यास जी
ने संभाली है। प्रथम दिवस उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के महात्म्य और भागवत महिमा पर
विस्तृत प्रकाश डाला। सहज, सरल और मधुर शैली में सुनाई गई कथा के दौरान बार-बार ऐसा
अनुभूत हुआ मानो श्रोतागण स्वयं उस दिव्य लीला का हिस्सा बन गए हों।

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कथा प्रारंभ होने का समय दोपहर 3 बजे से निर्धारित है, जो सायं 7 बजे तक श्रद्धापूर्वक
चलती है। प्रतिदिन के महाआरती के साथ कथा का समापन होता है,
जिसमें दीपों की लौ, घंटियों की ध्वनि और सामूहिक हरिनाम संकीर्तन से
वातावरण पूर्णतया आध्यात्मिक आनंद में डूब जाता है।

रात्रि जागरण, भजन–कीर्तन और छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियाँ

कथा के पश्चात रात्रि के समय भजन–कीर्तन और जागरण का विशेष आयोजन किया गया है।
प्रतिनिधि रात्रि जागरण कार्यक्रम में स्थानीय भजन मंडलियों के साथ–साथ
छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियाँ भी होंगी।
पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन, लोकगीतों की गूंज और भक्ति भाव से ओतप्रोत
रचनाएँ श्रोताओं को भोर तक बांधे रखने का सामर्थ्य रखती हैं।
आयोजकों के अनुसार यह पूरा कार्यक्रम भगवत भजन, कीर्तन और स्मरण के माध्यम से
जीवन में सत्कर्म और सद्पथ के संदेश को सुदृढ़ करेगा।

मुख्य यजमान और गोस्वामी परिवार का सामूहिक योगदान

इस श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में मुख्य यजमान के रूप में
कैलाश अन्नू गोस्वामी और ओम स्वाती गोस्वामी
की विशेष भूमिका रही। भक्ति और विनम्रता के साथ वे लगातार कथा स्थल पर उपस्थित रहकर
सभी श्रद्धालुओं के स्वागत और व्यवस्था में लगे हुए दिखाई दिए।

कथा के संचालन, व्यवस्थापन और अनुशासन को बनाए रखने की जिम्मेदारी
गोस्वामी परिवार के विभिन्न सदस्यों ने मिलकर उठाई है।
आयोजन समिति में प्रमुख रूप से
शिवरतन गिरी गोस्वामी, रतन गिरी गोस्वामी, हीरा गिरी गोस्वामी,
नीलमणि गोस्वामी, अशोक गोस्वामी, नंदनी लक्ष्मण गोस्वामी,
कल्पना राजेश्वर गोस्वामी, नूतन विजयपुरी गोस्वामी, मंजू रामेश्वर गोस्वामी,
सरोज जगन्नाथ गोस्वामी, पार्वती गोस्वामी, संतोषी गोस्वामी, रिया गोस्वामी,
विजय गोस्वामी, विनय गोस्वामी, सृजल गोस्वामी, प्रफुल्ल गोस्वामी,
मोक्ष गोस्वामी, देवव्रत गोस्वामी, दृष्टि गोस्वामी, मोटू गोस्वामी,
शनि गोस्वामी, हेमंत गोस्वामी, वीर गोस्वामी, परी गोस्वामी और जागृति गोस्वामी

का प्रेरक योगदान उल्लेखनीय है।

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इन सभी के सामूहिक प्रयास से न केवल कथा पंडाल की सजावट, जल–पान, प्रसाद वितरण और
श्रद्धालुओं की बैठने की व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो रही है,
बल्कि पूरे क्षेत्र में एकता, सहयोग और सेवा की भावना भी प्रखर हो उठी है।
ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे आयोजनों से जहां आध्यात्मिक वातावरण बनता है,
वहीं सामाजिक सौहार्द और पारिवारिक एकजुटता भी मजबूत होती है।

श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, भक्ति और भावनाओं का संगम

कथा स्थल पर पहले ही दिन से दूर–दराज के गांवों से आए श्रद्धालुओं की
उल्लेखनीय भीड़ देखने को मिली। महिलाएँ सिर पर कलश धारण कर
भजन गाती हुई आगे–आगे चल रही थीं, तो युवक–युवतियाँ हाथों में ध्वज,
पताका और कीर्तन–पट्टिकाएँ लेकर कलश यात्रा का आकर्षण बढ़ा रहे थे।
बुजुर्ग श्रद्धालु बैठकर शांत भाव से कथा सुनते हुए अपने जीवन के अनुभवों
से भागवत के संदेशों को जोड़ते दिखाई दिए।

कुल मिलाकर, सीपत, परसाही (धनियां) में आयोजित यह
संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ
केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं, बल्कि श्रद्धा, सेवा, संस्कार और
सामाजिक एकता का जीवंत उत्सव बनकर उभर रहा है। आने वाले दिनों में
कथा के विभिन्न प्रसंगों के साथ–साथ भक्तों के लिए कई विशेष धार्मिक
कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिससे पूरे क्षेत्र का धार्मिक माहौल
और अधिक प्रखर होने की उम्मीद है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

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सीपत, परसाही में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ की शुरुआत कब हुई?
सीपत, परसाही (धनियां) में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ की शुरुआत
30 नवंबर, रविवार को भव्य कलश यात्रा के साथ हुई। इसी दिन से कथा का नियमित
पाठ दोपहर 3 बजे से सायं 7 बजे तक किया जा रहा है।

भागवत कथा का वाचन कौन कर रहे हैं और वे कहाँ से आए हैं?
इस श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में कथा वाचन का दिव्य उत्तरदायित्व
चित्रकूट के सुप्रसिद्ध कथा वाचक
पंडित श्री कृष्ण गोपाल शास्त्री वेदव्यास जी
ने संभाला है। वे मधुर और सरल शैली में भगवान की लीलाओं और
भागवत महिमा का वर्णन कर रहे हैं।

मुख्य यजमान और आयोजक परिवार में किन–किन का विशेष योगदान है?
इस आयोजन के मुख्य यजमान कैलाश अन्नू गोस्वामी और
ओम स्वाती गोस्वामी हैं। कथा की व्यवस्था,
संचालन और देखरेख में गोस्वामी परिवार के
शिवरतन गिरी गोस्वामी, रतन गिरी गोस्वामी, हीरा गिरी गोस्वामी,
नीलमणि गोस्वामी, अशोक गोस्वामी, नंदनी लक्ष्मण गोस्वामी,
कल्पना राजेश्वर गोस्वामी, नूतन विजयपुरी गोस्वामी,
मंजू रामेश्वर गोस्वामी, सरोज जगन्नाथ गोस्वामी,
पार्वती गोस्वामी, संतोषी गोस्वामी, रिया गोस्वामी,
विजय गोस्वामी, विनय गोस्वामी, सृजल गोस्वामी,
प्रफुल्ल गोस्वामी, मोक्ष गोस्वामी, देवव्रत गोस्वामी,
दृष्टि गोस्वामी, मोटू गोस्वामी, शनि गोस्वामी,
हेमंत गोस्वामी, वीर गोस्वामी, परी गोस्वामी और
जागृति गोस्वामी सहित पूरे परिवार का अहम योगदान है।

रात्रि में होने वाले विशेष कार्यक्रमों में क्या–क्या शामिल है?
कथा के बाद रात्रि में भजन–कीर्तन, जागरण कार्यक्रम और
छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियाँ होंगी।
इन प्रस्तुतियों में लोकधुनों, भक्ति गीतों और पारंपरिक वाद्यों के साथ
ऐसा वातावरण बनाया जाएगा, जिसमें श्रद्धालु भोर तक
भगवत भजन और कीर्तन में डूबे रह सकें।

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